Posts

Featured post

Jhurangu, Pauri Garhwal, Uttarakhand- Mr. Amit Bhadula

Image
My Village Jhurangu (झुड़ंगू) Jhurangu is a small village located near Haldukhal in the Pauri Garhwal district of Uttarakhand. Like Haldukhal, Jhurangu is known for its scenic beauty and traditional lifestyle, with the surrounding landscape characterized by hills, forests, and agricultural fields.  It is one of the hilly villages where the larger columns of hill is located. The people are from different castes  and communities.  It is not a part of the Corbett Tiger Reserve but a buffer zone right opposite to Corbett National Park. it is 16 kilometers from maidavan. For wildlife lovers, the zone has a sufficient population of cheetal, sambar, Himalayan goat, bear, and tigers. On the other hand, the buffer zone is known for its beautiful natural scenery, including grasslands, and dense forests. This zone is home to several wildlife species, including tigers, leopards, dee r, and many bird species उत्तराखंड जो कि एक पहाड़ी राज्य है, न केवल हिल स्टेशनों के लिए...

Jhurangu pauri Garhwal Uttarakhand

 मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर  की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में  वो सब के सब चले गए शहर में। ऐसा नही कि रहने को मकान नही था। बस यहां रोटी का इंतजाम नहीं था। हास परिहास का आम तौर पर उपवास रहता है। मेरा #गांव अब उदास रहता है।। बाबू जी ठंड में सिकुड़े और पसीने मे नहाए थे। तब जाकर तीन कमरे किसी तरह बनवाए थे। अब तीनों कमरे खाली हैं मैदान बेजान है। छतें अकेली हैं गलियां वीरान हैं।। मां का शरीर भी अब घुटनों पर भारी है। पिता को हार्ट और डाईविटीज की बीमारी है। अपने ही घर में मां बाप का वनवास रहता है। मेरा #गांव अब उदास रहता है।। छत से बतियाते पंखे, दीवारें और जाले हैं। कुछ मकानों पर तो कई वर्षों से तालें हैं।। बेटियों को ब्याह दिया गया ससुराल चली गई। दीवाली की छुरछुरी होली का गुलाल चली गई। मोहल्ले मे जाओ जरा झांको कपाट पर। बैठे मिलेंगे अकेले बाबू जी, किसी कुर्सी किसी खाट पर।। सावन के झूले उतर गए भादों भी निराश रहता है। मेरा #गांव अब उदास रहता है।। कबड्डी क्रिकेट अंताक्षरी, सब वक्त की तह में दब गए। हमारे गांव के ल...

उत्तराखंड से पलायन मजबूरी

उत्तराखंड से पलायन मजबूरी महानगरीय चकाचौंध तले    हमारे देश का एक बड़ा तबका बड़े शहरों में अपना जीवन ज्यादा   सुखी देखता   है उत्तराखंड की हमारी आज की  नौजवान    पीड़ी  अपने गावो से लगातार कटती जा रही है ।रोजी रोटी की तलाश में घर से  निकला यहाँ का नौजवान    अपने बुजुर्गो की सुध इस दौर में नहीं ले पा रहा है ।यहाँ के गावो में आज बुजुर्गो की अंतिम पीड़ी रह रही है और कई मकान बुजुर्गो के निधन के बाद सूने हो गए हैं ।आज आलम यह है दशहरा  , दीपावली  , होली सरीखे त्यौहार भी इन इलाको में उस उत्साह के साथ नहीं मनाये जाते जो उत्साह बरसो पहले  संयुक्त   परिवार के साथ देखने को मिलता था । हालात    कितने खराब हो चुके हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है आज पहाड़ो में लोगो ने खेतीबाड़ी   जहाँ छोड़ दी है वहीँ पशुपालन भी इस दौर में घाटे का सौदा बन गया है क्युकि वन सम्पदा लगातार    सिकुड़ती जा रही है और माफियाओ , कारपोरेट    और सरकार का काकटेल    पहाड़ो की सुन्दरता पर ग्रहण ...